Tuesday, January 20, 2015

हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°)

आज बात करते हैं उस महान शख्सियत की जिसने अपनी तरह की पहली क्रांति लाकर दुनिया का निज़ाम ही बदल दिया...
हाँ मैं बात कर रहा हूँ इस्लाम के आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) की...
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जो अंधविश्वास और पाखण्ड के ख़िलाफ़ इंकलाब लेकर आये,
जिस दौर में हर रोज़ का एक बुत होता था, हर रोज़ उन बुतों की पूजा और चढ़ावे के नाम पर आम जनता का शोषण होता था, उस दौर में आप (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) ने लोगों को सिर्फ एक ईश्वरीय शक्ति की उपासना करने का सिद्धांत दिया....
जिन्होंने औरतों के हक़ में उस वक़्त आवाज़ उठाई जिस दौर में बेटियों को जिंदा दफना दिया जाता था और विधवाओं को जीने तक का अधिकार न था...
हाँ ये वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) हैं जिन्होंने एक गरीब नीग्रो बिलाल (रजि अल्लाहू ) को अपने गले से लगाया, अपने कंधों पर बैठाया, और इस्लाम का पहला आलिम मुक़र्रर किया....
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की मज़दूर का मेहनताना उसका पसीना सूखने से पहले अदा करो, मज़दूर पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ न डालो, यहाँ तक की काम में मज़दूर का हाथ बटाओ....
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की वो इंसान मुसलमान नहीं हो सकता जिसका पड़ोसी भूखा सोये, चाहे वो किसी भी मज़हब का हो...
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की अगर किसी ग़ैर मुस्लिम पर किसी ने ज़ुल्म किया तो अल्लाह की अदालत में वो खुद उस ग़ैर मुस्लिम की वक़ालत करेंगे....
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने अपने ऊपर कूड़ा फेंकने वाली बुज़ुर्ग औरत का जवाब हमेशा मुस्कुरा कर दिया और उसके बीमार हो जाने पर ख़ुद खैरियत पूछने जाते हैं....
हाँ वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की दूसरे मज़हब का मज़ाक न बनाओ...
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने जंग के भी आदाब तय किये की सिर्फ अपने बचाव में ही हथियार उठाओ...बच्चे, बूढों और औरतों पर हमला न करो बल्कि पहले उन्हें किसी महफूज़ जगह पहुँचा दो...यहाँ तक की पेड़ पौधों को भी नुकसान ना पहुचाने की हिदायत दी...उसी अज़ीमुश्शान शख्सिअत के बारे में लिखते लिखते कलम थक जायगी मगर उसकी शान कभी कम न होगी.

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