Sunday, March 15, 2015

क्या आप जानते हो?

⬜🔷 क्या आप जानते हो? 🔷⬜

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🔷⬜   नबी ए करीम ﷺ   ⬜🔷

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अल्लाह तआ़ला ने सब से पहले अपने
नुर से हमारे नबी ए करीम ﷺ का नूर
बनाया और हुज़ूर के नूर से कायनात
की सारी चीज़ें बनाई

📚- हवाला :- सीरते रसूले अरबी

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अल्लाह तआ़ला ने ह़ज़रते आदम
अ़लैहिस्सलाम की पैदाइश से दो
हज़ार साल पहले नबी ए करीम ﷺ
का नाम अपने नाम के साथ लिखा

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

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हुज़ूर काबे का काबा हैं इसीलिए आप
की विलादत पर काबए मुअज़्ज़मा ने
ह़ज़रते आमिना रदीअल्लाहो तआ़ला
अ़न्हा के मकान या मक़ामे इब्राहीम की
तरफ सज्दा किया था

📚 -हवाला :- मदारिजुन्नुबुव्वह

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मेराज की रात नबी ए करीम ﷺ
मक्का से बैतुल मुक़द्दस तक बुराक
पर... बैतुल मुक़द्दस से आसमाने
दुनिया तक मेराज (एक सीढ़ी) पर
वहां से सातवे आसमान तक फ़िरिश्तों
के परों पर और वहां से सिदरतुल
मुन्तहा तक ह़ज़रते जिब्राईल के बाज़ू
पर और सिदरतुल मुन्तहा से अ़र्श तक
रफ़ रफ़ पर तशरीफ़ ले गए

वापसी भी इसी तरतीब से हुई

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ़

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नबी ए करीम ﷺ पर दुरूद शरीफ़
पढ़ना हर आक़िल बालिग़ मुसलमान
पर उम्र में एक बार फ़र्ज़ हैं

📚𶠭हवाला :- बुख़ारी शरीफ़

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नबी ए करीम ﷺ का इस्मे मुबारक
आसमान पर अह़मद
ज़मीन पर मुह़म्मद
और
ज़मीन के नीचे मह़मूद हैं

📚 -हवाला :- सिरते रसूले अरबी

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नबी ए करीम ﷺ के जिस्म मुबारक
और कपड़ों पर मक्खी नही बैठती थी

कुछ उ़लमाए अजम ने कहा हैं कि
मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह
(सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम) में
बिना नुक़्ते वाले हुरूफ़ हैं
क्यूंकि
नुक़्ता मक्खी से मुशाबेह होता हैं
और
अल्लाह तआ़ला ने आप के
जिस्मे पाक के साथ इस्मे पाक को
भी इस मुशाबेहत से मह़फ़ूज़ रखा हैं

📚 -हवाला :- तारीख़े  ह़बीबुल्लाह

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नबी ए करीम ﷺ को कभी जमाही
(उबासी) नही आई

📚-हवाला :- सीरते रसूले अरबी

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नबी ए करीम ﷺ जिस जानवर पर
सवार होते जब तक सवार रहते
जानवर न लीद करता न और कोई गन्दगी

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

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नबी ए करीम ﷺ के पास एक बोरिया
था जिसे मोड़ कर आप उसे हुजरे की
त़रह़ बना लेते थे और उसी में नमाज़
अदा फ़रमाते थे, दिन में उसी को बिछा
कर उस पर तशरीफ़ फ़रमा होते थे

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

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नबी ए करीम ﷺ के पास तीन
तलवारें थी
एक का नाम ज़ुल्फ़िक़ार दुसरी का
नाम मासूर और तीसरी नाम तबार था

📚 - हवाला :- मदारिजुन्नुबुव्वह

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नबिय्ये रह़मत सल्लल्लाहो तआ़ला
अ़लैहे वसल्लम को ( 34 ) बार
रूह़ानी मेराज हुई

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

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नबी ए करीम ﷺ जिस बिस्तर पर
आराम फ़रमाते थे वो बिस्तर चमड़े का
था और उस में ख़जूर की मूंझ भरी हुई थी

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ जब खाना खाते थे
तो अपनी उंग्लियों को तीन बार चाटते
थे और आप ने सारी उम्र न तो चौकी
पर बैठ कर खाना खाया और न ही
चपाती खाई

📚 -हवाला :- तोहफतुल वाइज़ीन

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नबी ए करीम ﷺ के अबरुओं ( भवों )
के बीच एक रग थी जो ग़ुस्से की
ह़ालत में सुर्ख़ हो जाती थी

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ जब चलते थे तो
यूं मह़सूस होता था जैसे आप ऊंचाई
से उतर रहे हो

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ अंगूठी चांदी की थी
और उस का नगीना हबश का अक़ीक़ था

📚 -हवाला :- तिर्मिज़ी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ चाकी लम्बाई चार
गज़ की और चौड़ाई ढ़ाई गज़ की थी

📚 -हवाला :- जुरकानि

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नबी ए करीम ﷺ ने जो आख़िरी
खाना खाया हैं उस में पुख़्ता
( पका हुआ ) लहसन पड़ा हुआ था

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ खजूर ओर
मक्खन को निहायत मरग़ूब रखते थे

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ का करीन ( यानी )
साथ रहनेवाला शैत़ान भी मुसलमान
हो गया था येह ख़ुसूसिय्यत सरकार
के सदक़े में दुसरे नबियों को भी
ह़ासिल रही

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ का महशर के दिन
का सज्दा एक हफ़्ते तक रहेगा जिस
में आप ऐसी ह़म्द करेंगे जो कभी
किसी ने न की होगी

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

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नबी ए करीम ﷺ को लौकी बहुत
पसन्द थी

नबी ए करीम ﷺ फरमाते थे :

लौकी मेरे भाई यूनुस अ़लैहिस्सलाम
का दरख़्त हैं

📚 -हवाला :- तोहफतुल वाइज़ी
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