Monday, August 15, 2016

तलाक़

*एक जज अपनी पत्नी को क्यों दे रहे हैं तलाक।*

⚡कल रात एक ऐसा वाकया हुआ जिसने मेरी ज़िन्दगी के कई पहलुओं को छू लिया.
करीब 7 बजे होंगे,
शाम को मोबाइल बजा ।
उठाया तो उधर से रोने की आवाज़....
मैंने शांत कराया और पूछा कि भाभीजी आखिर हुआ क्या?
उधर से आवाज़ आई..
आप कहाँ हैं और कितनी देर में आ सकते हैं ?
मैंने कहा:-"आप परेशानी बताइये..!"
और "भाई साहब कहाँ हैं...?माताजी किधर हैं..?" "आखिर हुआ क्या...?"
लेकिन
उधर से केवल एक रट कि आप आ जाइए, मैंने आश्वाशन दिया कि कम से कम एक घंटा लगेगा.जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पहुँचा.
देखा तो भाई साहब (हमारे मित्र जो जज हैं) सामने बैठे हुए हैं.
भाभीजी रोना चीखना कर रही हैं,13 साल का बेटा भी परेशान है. 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है.
मैंने भाई साहब से पूछा
कि आखिर क्या बात है.
भाई साहब कोई जवाब नहीं दे रहे थे.
फिर भाभी जी ने कहा ये देखिये तलाक के पेपर, ये कोर्ट से तैयार कराके लाये हैं, मुझे तलाक देना चाहते हैं,
मैंने पूछा -ये कैसे हो सकता है. इतनी अच्छी फैमिली है. 2 बच्चे हैं. सब कुछ सेटल्ड है. प्रथम दृष्टि में मुझे लगा ये मजाक है.
लेकिन मैंने बच्चों से पूछा दादी किधर हैं,
बच्चों ने बताया पापा ने उन्हें 3 दिन पहले नोएडा के वृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दिया है.
मैंने घर के नौकर से कहा
मुझे और भाई साहब को चाय पिलाओ,
कुछ देर में चाय आई. भाई साहब को बहुत कोशिशें कीं पिलाने की.
लेकिन उन्होंने नहीं पिया. और कुछ ही देर में वो एक मासूम बच्चे की तरह फूटफूट कर रोने लगे. बोले मैंने 3 दिन से कुछ भी नहीं खाया है. मैं अपनी 61 साल की माँ को कुछ लोगों के हवाले करके आया हूँ.
पिछले साल से मेरे घर में उनके लिए इतनी मुसीबतें हो गईं कि पत्नी (भाभीजी) ने कसम खा ली. कि मैं माँ जी का ध्यान नहीं रख सकती. ना तो ये उनसे बात करती थी
और ना ही मेरे बच्चे बात करते थे. रोज़ मेरे कोर्ट से आने के बाद माँ खूब रोती थी. नौकर तक भी अपनी मनमानी से व्यवहार करते थे.
माँ ने 10 दिन पहले बोल दिया.. बेटा तू मुझे ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट कर दे.
मैंने बहुत कोशिशें कीं पूरी फैमिली को समझाने की, लेकिन किसी ने माँ से सीधे मुँह बात नहीं की.
जब मैं 2 साल का था तब पापा की मृत्यु हो गई थी. दूसरों के घरों में काम करके मुझे पढ़ाया. मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं जज हूँ . लोग बताते हैं माँ कभी दूसरों के घरों में काम करते वक़्त भी मुझे अकेला नहीं छोड़ती थीं.
उस माँ को मैं ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट करके आया हूँ. पिछले 3 दिनों से मैं अपनी माँ के एक-एक दुःख को याद करके तड़प रहा हूँ, जो उसने केवल मेरे लिए उठाये.
मुझे आज भी याद है जब..
मैं 10th की परीक्षा में अपीयर होने वाला था. माँ मेरे साथ रात रात भर बैठी रहती.
एक बार माँ को बहुत फीवर हुआ मैं तभी स्कूल से आया था. उसका शरीर गर्म था, तप रहा था. मैंने कहा माँ तुझे फीवर है हँसते हुए बोली अभी खाना बना रही थी इसलिए गर्म है.
लोगों से उधार माँग कर मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी तक पढ़ाया. मुझे ट्यूशन तक नहीं पढ़ाने देती थीं कि कहीं मेरा टाइम ख़राब ना हो जाए. कहते-कहते रोने लगे..
और बोले--जब ऐसी माँ के हम नहीं हो सके तो हम अपने बीबी और बच्चों के क्या होंगे. हम जिनके शरीर के टुकड़े हैं,आज हम उनको ऐसे लोगों के हवाले कर आये, जो उनकी आदत, उनकी बीमारी,उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते,
जब मैं ऐसी माँ के लिए कुछ नहीं कर सकता तो मैं किसी और के लिए भला क्या कर सकता हूँ.
आज़ादी अगर इतनी प्यारी है और माँ इतनी बोझ लग रही हैं, तो मैं पूरी आज़ादी देना चाहता हूँ.
जब मैं बिना बाप के पल गया तो ये बच्चे भी पल जाएंगे. इसीलिए मैं तलाक देना चाहता हूँ,
सारी प्रॉपर्टी इन लोगों के हवाले करके उस ओल्ड ऐज होम में रहूँगा. कम से कम मैं माँ के साथ रह तो सकता हूँ.
और अगर इतना सबकुछ कर के माँ आश्रम में रहने के लिए मजबूर है, तो एक दिन मुझे भी आखिर जाना ही पड़ेगा. माँ के साथ रहते-रहते आदत भी हो जायेगी. माँ की तरह तकलीफ तो नहीं होगी.
जितना बोलते उससे भी ज्यादा रो रहे थे. बातें करते करते रात के 12:30 हो गए. मैंने भाभीजी के चेहरे को देखा.
उनके भाव भी प्रायश्चित्त और ग्लानि से भरे हुए थे. मैंने ड्राईवर से कहा अभी हम लोग नोएडा जाएंगे.
भाभीजी और बच्चे हम सारे लोग नोएडा पहुँचे.
बहुत ज़्यादा रिक्वेस्ट करने पर गेट खुला. भाई साहब ने उस गेटकीपर के पैर पकड़ लिए, बोले मेरी माँ है, मैं उसको लेने आया हूँ,
चौकीदार ने कहा क्या करते हो साहब,
भाई साहब ने कहा मैं जज हूँ,
उस चौकीदार ने कहा:-
"जहाँ सारे सबूत सामने हैं तब तो आप अपनी माँ के साथ न्याय नहीं कर पाये,
औरों के साथ क्या न्याय करते होंगे साहब।
इतना कहकर हम लोगों को वहीं रोककर वह अन्दर चला गया.
अन्दर से एक महिला आई जो वार्डन थी.
उसने बड़े कातर शब्दों में कहा:-
"2 बजे रात को आप लोग ले जाके कहीं मार दें, तो मैं अपने ईश्वर को क्या जबाब दूंगी..?"
मैंने सिस्टर से कहा आप विश्वास करिये. ये लोग बहुत बड़े पश्चाताप में जी रहे हैं.
अंत में किसी तरह उनके कमरे में ले गईं. कमरे में जो दृश्य था, उसको कहने की स्थिति में मैं नहीं हूँ.
केवल एक फ़ोटो जिसमें पूरी फैमिली है और वो भी माँ जी के बगल में, जैसे किसी बच्चे को सुला रखा है.
मुझे देखीं तो उनको लगा कि बात न खुल जाए
लेकिन जब मैंने कहा हमलोग आप को लेने आये हैं, तो पूरी फैमिली एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी.
आसपास के कमरों में और भी बुजुर्ग थे सब लोग जाग कर बाहर तक ही आ गए.
उनकी भी आँखें नम थीं.
कुछ समय के बाद चलने की तैयारी हुई. पूरे आश्रम के लोग बाहर तक आये. किसी तरह हम लोग आश्रम के लोगों को छोड़ पाये.
सब लोग इस आशा से देख रहे थे कि शायद उनको भी कोई लेने आए, रास्ते भर बच्चे और भाभी जी तो शान्त रहे .......
लेकिन भाई साहब और माताजी एक दूसरे की भावनाओं कोअपने पुराने रिश्ते पर बिठा रहे थे.घर आते-आते करीब 3:45 हो गया.
👩 भाभीजी भी अपनी ख़ुशी की चाबी कहाँ है ये समझ गई थीं.
मैं भी चल दिया. लेकिन रास्ते भर वो सारी बातें और दृश्य घूमते रहे.
👵 माँ केवल माँ है. 👵
उसको मरने से पहले ना मारें.

माँ हमारी ताकत है उसे बेसहारा न होने दें , अगर वह कमज़ोर हो गई  तो हमारी संस्कृति की रीढ़ कमज़ोर हो जाएगी , बिना रीढ़ का समाज कैसा होता है किसी से छुपा नहीं

अगर आपकी परिचित परिवार में ऐसी कोई समस्या हो तो उसको ये जरूर पढ़ायें, बात को प्रभावी ढंग से समझायें , कुछ भी करें लेकिन हमारी जननी को बेसहारा बेघर न होने दें, अगर माँ की आँख से आँसू गिर गए तो ये क़र्ज़ कई जन्मों तक रहेगा , यकीन मानना सब होगा तुम्हारे पास पर सुकून नहीं होगा , सुकून सिर्फ माँ के आँचल में होता है उस आँचल को बिखरने मत देना।

Friday, August 12, 2016

जब कोई साया नहीं मिलता तो याद आती है मां


मौत की आगोश में जब थक के सो जाती हैं माँ
तब कही जाकर सुकू थोडा सा पा जाती हैं मां
फ़िक्र में बच्चों की कुछ इस तरह घुल जाती है माँ ।
नौजवान होते हुए बूढी नज़र आती है माँ ॥

रूह के रिश्ते की ये गहराईयां तो देखिये ।
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ ॥
कब ज़रुरत हो मेरे बच्चों को इतना सोच कर ।
जागती रहती हैं आखें और सो जाती है माँ ॥
हुदीयों का रस पिला कर अपने दिल के चैन को ।
कितनी ही रातों में खाली पेट सो जाती है माँ ॥
जाने कितनी बर्फ़ सी रातों मे ऎसा भी हुआ ।
बच्चा तो छाती पे है गीले में सो जाति है माँ ॥
जब खिलौने को मचलता है कोई गुरबत का फूल ।
आंसूओं के साज़ पर बच्चे को बहलाती है माँ ॥
फ़िक्र के शमशान में आखिर चिताओं की तरह ।
जैसी सूखी लकडीयां, इस तरह जल जाती है माँ ॥
अपने आंचल से गुलाबी आंसुओं को पोंछ कर ।
देर तक गुरबत पे अपने अश्क बरसाती है माँ ॥
सामने बच्चों के खुश रहती है हर इक हाल में ।
रात को छुप छुप के अश्क बरसाती है माँ ॥
पहले बच्चों को खिलाती है सकूं-औ-चैन से ।
बाद मे जो कुछ बचा हो शौक से खाती है माँ ॥
मांगती ही कुछ नहीं अपने लिए अल्लाह से ।
अपने बच्चों के लिए दामन को फ़ैलाती है माँ ॥
गर जवाँ बेटी हो घर में और कोई रिश्ता न हो ।
इक नए एहसास की सूलि पे चढ़ जाती है माँ ॥
हर इबादत हर मोहब्बत में नहीं है इक ग़र्ज ।
बे-ग़र्ज़, बे-लूस, हर खिदमत को कर जाति है माँ ॥
बाज़ूओं में खींच के आ जाएगी जैसे कायनात ।
अपने बच्चे के लिये बाहों को फैलाती है मां ॥
ज़िन्दगी के सफ़र में गर्दिशों की धूप में ।
जब कोई साया नहीं मिलता तो याद आती है मां ॥
प्यार कहते हैं किसे और ममता क्या चीज़ है ।
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी मर जाती है मां ॥
सफ़ा-ए-हस्ती पे लिखती है ऊसूल-ए-ज़िन्दगी ।
इस लिये एक मुक्ताब-ए-इस्लाम कहलाती है मां ॥
उस नई दुनिया को दिये मासूम रहबर इस लिये ।
अज़्मतों में सानी-ए-कुरान कहलाती है मां ॥
घर से जब परदेस जाता है कोई नूर-ए-नज़र ।
हाथ में कुरान ले कर दर पे आ जाती है मां ॥
दे कर बच्चे को ज़मानत में रज़ा-ए-पाक की ।
पीछे पीछे सर झुकाए दूर तक जाती है मां ॥
कांपती आवाज़ से कहती है “बेटा अलविदा” ।
सामने जब तक रहे हाथों को लहराती है मां ॥
जब परेशानी में घिर जाते हैं हम कभी परदेस में ।
आंसुओं को पोछने ख्वाबों में आ जाती है मां ॥
देर हो जाती है घर आने में अक्सर जब हमें ।
रेत पर मचले हो जैसे ऐसे घबराती है मां ॥
मरते दम तक आ सका बच्चा ना गर परदेस से ।
अपनी दोनों पुतलीयां चौखट पे रख जाती है मां

Wednesday, August 10, 2016

जहन्नुम का नज़ारा

एक बार हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम नबी पाक के पास आये तो मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने देखा कि जिब्रील कुछ परेशान है आपने फ़रमाया जिब्रील क्या बात है कि आज मैं आपको परेशान देख रहा हूँ जिब्रील अमीं ने अर्ज़ की ऐ नबी कल मैं #अल्लाह पाक के हुक्म से जहन्नुम का नज़ारा कर के आया हूं उसको देखने से मुझ पे ग़म के आसार दिखाई पड़ते हैं नबी करीम ने कहा ऐ जिब्रील मुझे भी जहन्नुम के हालात बताओ जिब्रील ने अर्ज़ किया कि जहन्नुम के कुल सात दरजे हैं
उनमें जो सबसे नीचे वाले दरजे में अल्लाह पाक मुनाफिकों को रखेगा
उस से ऊपर वाले छठे दरजे में अल्लाह पाक मुशरिक लोग डालेंगे
उस से ऊपर पांचवें दर्जे में अल्लाह पाक सूरज और चाँद की पूजा करने वालों को डालेंगे
चौथे दरजे में अल्लाह पाक आग की परस्तिश करने वाले लोगों को डालेंगे
तीसरे दरजे में अल्लाह पाक यहूदी को डालेंगे
दूसरे दरजे में अल्लाह पाक ईसाईयों को डालेंगें
यह कहकर जिब्राइल अलैहिस्सलाम खामोश हो गए तो नबी पाक ने पूछा
जिब्राइल आप चुप क्यों हो गए मुझे बताओ कि पहले दरजे में कौन होगा
जिब्राईलअलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया
या अल्लाह के रसूल पहले स्तर में अल्लाह पाक आपके उम्मत के गून्हगारों को डालेगें
जब नबी ने यह सुना कि मेरी उम्मत को भी जहन्नुम में डाला जाएगा तो बेहद ग़मगीन हुए और आप अल्लाह के बारगाह में दूयाऐं शुरू की तीन दिन ऐसे गुज़रे कि अल्लाह के प्यारे नबी मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए तशरीफ़ लाते नमाज़ पढ़ कर * हुजरे में तशरीफ़ ले जाते और दरवाजा बंद कर के अल्लाह के होजूर रो रोकर फरियाद करते सभी सहाबी हजरात हैरान थे कि नबी करीम पे * यह कैसी कैफियत तारी हुई है मस्जिद से हुजरे जाते हैं
घर भी तशरीफ़ लेकर नहीं जा रहे। जब तीसरा दिन हुआ तो सैय्यदना अबु बकर से रहा नहीं गया वह दरवाजे पे आकर दस्तक दी और सलाम किया लेकिन सलाम का जवाब नहीं आया। आप रोते हुए सैय्यदना उम्र के पास गये और कहा कि मैं सलाम किया लेकिन सलाम का जवाब न मिला तो जाएं आप हो सकता है सलाम का जवाब मिल जाय तो गए तो आपने तीन बार सलाम किया लेकिन जवाब न आया.हज़रत उम्र ने सलमान फारसी को भेजा लेकिन फिर भी सलाम का जवाब न आया हज़रत सलमान फारसी ने घटना का उल्लेख अली * रज़ी अल्लाह अन्हो से किया उन्होंने सोचा कि जब इतने महान शख्सियत को सलाम का जवाब न मिला तो मुझे भी खुद नहीं जाना चाहिए
बल्कि मुझे उनकी नूर नज़र बेटी फातिमा को अंदर भेजनी चाहिए इसलिए आप फातिमा रज़ी अल्लाह से सब हालात बता दिया आप हुजरे के दरवाजे पे आई
"अब्बा जान अस्सलाम अलैकुम
बेटी की आवाज सुनकर नबी-ए- काईनात उठे दरवाजा खोला और सलाम का जवाब दिया
अब्बा जान आप पर क्या कैफियत है कि तीन दिन से आप यहाँ तशरीफ़ फरमा हैं
नबी करीम ने कहा कि जिब्राईल ने मुझे बताया किया है कि मेरी उम्मत भी जहन्नुम में डाली जायेगी फातिमा बेटी मुझे अपने उम्मत की बड़ी फ़िक्र है
अपने उम्मत के गूनहगारों का गम खाये जा रहा है और मैं अपने मालिक से दुआ कर रहा हूं कि अल्लाह उन्हें माफ़ कर और उन्हें जहन्नुम से बरी कर यह कहकर आप फिर सजदे में चले गए और रोना शुरू किया या अल्लाह मेरी उम्मत या अल्लाह मेरी उम्मत के गुनहगारों को माफ़ कर उन्हें जहन्नुम से नजात दे
कि इतने में हुक्म आगया
ऐ मेरे महबूब गम ना करो मैं तुम को इतना अता करूंगा की तुम खुश हो जाओगे
आप खुशी से खिल उठे और कहा लोगों अल्लाह ने मुझसे वादा किया है कि वह क़यामत के दिन मुझे मेरी उम्मत के मामले में खूब राजी करेगा और मैं तब तक राजी नहीं होऊंगा जब तक मेरा आखरी उम्मती भी जन्नत में न चला जाय

लिखते हुए आंखों से आंसू आ गए कि हमारा नबी इतना शफीक और ग़म महसूस करने वाला है और बदले में हम उन्हें क्या दे रहे हैं??

Friday, August 5, 2016

इस्लाम को बुरा कहने वाले

तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं!!!

जब से इस्लाम धर्म दुनिया में आया हैं , तब से ही इस्लाम को बुरा कहने वाले भी पैदा हो गये हैं।
इस्लाम धर्म से चिढने वालों की हर वक़्त यही कोशिश रहती हैं कि किसी न किसी तरीके से इस्लाम को बदनाम किया जाए।
और वे इस्लाम धर्म के प्रति अलग अलग प्रकार की भ्रामक बातें फैलाते रहते हैं।आखिरकार वे इस्लाम से चिढते क्यों हैं? जबकि

✅ इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पुजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं। जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं। जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया। अगर ये बात बुरी हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में जरूरी हैं। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेंगा। और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती हैं। अगर ऐसी बात सिखाना गलत हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं। और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है। इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ। अगर विधवाओ को अधिकार देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस मे बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं। समानता की शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो। और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ। पड़ोसी की मदद करना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है। इनसे अपने आप को दूर रखे। अगर समाज में मौजूद बुराइयों को समाप्त करना बुरी बात हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो। और कभी किसी गरीब और अनाथ की बद्दुआ न लेना नहीं तो बरबाद हो जाओगे। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे (नेकियों) अच्छे कामों को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि बुजुर्ग व्यक्ति का सम्मान करना मानों खुदा का सम्मान करने जैसा हैं। अगर तुम जन्नत (स्वर्ग) में जाना चाहते हो तो अपने मा बाप को हर हाल में खुश रखो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे। और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो। बोलों तो सच बोलों, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह हैं जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता हैं।

✅पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल(उपयोग) करना। और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह(पाप)। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु(पत्थर,कील,) होतो उसे किनारे करना जिससे दुसरो को पीड़ा न हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

✅महिलाओ को आँख उठा कर देखना गुनाह(पाप) समझना। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा घर्म है