Tuesday, November 29, 2016

जिस ने ज़हर पी कर खुद कुशी की

जिस ने ज़हर पी कर खुद कुशी की, उस के हाथ में ज़हर होगा और वह जहन्नम में उसे हमेशा पीता रहेगा ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(बुखारी 5778)


(सब से अफ़्ज़ल (बेहतर) सदका यह है के) तू उस वक़्त सदका करे, जब तू सेहतमंद हो और तुझे माल की ख्वाहिश हो ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(बुखारी 2748)



जिस शख्स ने अपने भाई को किसी ऐसे गुनाह पर शर्मिन्दा किया जिस से वह तौबा कर चूका था, तो वह उस वक़्त तक न मरेगा जब तक के वह उस गुनाह को न कर लेगा।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(तिर्मिज़ी 2505)



तुम में बेहतरीन शख्स वह है जिस से लोग भलाई की उम्मीद करे और उस के शर (तक्लीफ़) से महफूज़ हो ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(तिर्मिज़ी 2263)



दीने इस्लाम बहुत आसान मज़हब है ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(बुखारी 39)



तुम्हारी वह लड़की जो (तलाक़ या शौहर के मारने की वजह से) लोट कर तुम्हारे ही पास आ गई हो और उस के लिये तुम्हारे सिवा कोई कमाने वाला न हो (तो ऐसी लड़की पर जो भी खर्च किया जायेगा वह बेहतरीन सदका है )। 
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(इब्ने माज़ा 3667)



जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशो को पूरा करता है, वह आख़िरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(शोअबुल ईमान 9722)



जो शख्स झूटी कसम खा कर किसी का माल ले लेगा,वह अल्लाह के सामने कोढ़ी (जिसे कोढ़ होआ हो) हो कर पेश होगा ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(आबू दाऊद 3244)



तुम नमाज़ पढ़ो, क्यों की नमाज़ में शिफ़ा है । 
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(इब्ने माज़ा 3458)



 वह मुसलमान जिस की (लोगों को) माफ करने की आदत थी, वह जन्नत में जाने का हक्दार है ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(कन्जुल उम्माल 7015)



जब तुम वज़न करो तो झुकता वज़न करो । 
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(तिर्मिज़ी 1305)



ऐ ईमान वालो! अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो, उम्मीद है के तुम्हारा रब तुम्हारे गुनहो को माफ़ कर देगा और जन्नत में दाखिल कर देगा ।
-कुर्आन
(सुर-ऐ-तहरीम 8)



इंसान के कदम क़यामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे जब तक के उस से उस के माल के बारे में सवाल न कर लिया जाए के उस को कहा से कमाया और कहा खर्च किया ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(तिर्मिज़ी 2416)



जो शख्स हराम तरीके (सूद (बियाज), रिशवत वगैरा) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्कि उस हराम कमाई का वबाल उस पर है ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(मुस्तदरक 1440)



अल्लाह तआला की नाराज़गी माँ बाप की नाराज़गी में है।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(शोअबुल ईमान 7830)


हज़रत मुहम्मद ﷺ इस बात को पसंद नहीं फरमाते थे के असहाब (साथियो) की मजलिस में खुश्बू लगाये बगैर तशरीफ़ ले जाये ।
(सुबलुल्हुदा वर्रशाद 7/337)



अल्लाह तआला गली गलोच और बे हयाई की बात करने वालो और बाज़ार में चीख व पुकार करने वालो को पसंद नहीं फरमाता ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(अल अदबुल मुफरद 310)



हज़रत मुहम्मद ﷺ  ने(एक मर्तबा एक सहाबी को) अपनी ज़बाने मुबारक पकड़ कर फ़रमाया के सब से ज़ियादा खतरा इस से है ।
(तिर्मिज़ी 2410)



जब लोग बुराई को देखे और उस को न रोकें, तो करीब है के अल्लाह तआला उन सब पर अज़ाब नाज़िल फरमा दे ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(इब्ने माज़ा 4005)



जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहो के बा वजूद उस की चाहत पर दुनिया की चीज़े दे रहा है, तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(मुसनदे अहमद 17311)



हज़रत मुहम्मद ﷺ और आप के घर वाले बहुत सी रात भूके रहते थे उन के पास रात का खाना तक नहीं होता था ।
(तिर्मिज़ी 2360)



लोगो में अल्लाह तआला के सब से जियादा करीब वह शख्स है, जो पहले सलाम करे ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(अबू दाऊद 5117)



वादा भी एक तरह का क़र्ज़ है ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(तबरानी औसात 3513)



आदमी जब हमेशा सच ही बोलता है और सच्चाई ही को इख़्तियार कर लेता है तो अल्लाह के नज़्दीक सिद्दीक़ (सच्चा) लिख दिया जाता है ।
-हज़रत मुहम्मद ﷺ
(मुस्लिम 6805)
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